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अपरा एकादशी 2025 कब है? जानें तिथि, महत्व, कथा, व्रत विधि और वैज्ञानिक दृष्टिकोण
अपरा एकादशी 2025 हिन्दू धर्म में भगवान विष्णु को समर्पित एक महत्वपूर्ण व्रत है। ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाने वाली यह एकादशी आध्यात्मिक और सांसारिक दोनों ही दृष्टियों से फलदायी मानी जाती है।

अपरा एकादशी की तिथि (Apara Ekadashi Tithi)
अपरा एकादशी ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पड़ती है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, यह आमतौर पर मई या जून के महीने में आती है। वर्ष 2025 में, अपरा एकादशी की तिथि 23 May, 2025 है।
अपरा एकादशी का महत्व (Apara Ekadashi Ka Mahatva)
शास्त्रों में अपरा एकादशी का अत्यधिक महत्व वर्णित है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से अनेक पापों से मुक्ति मिलती है और पुण्य की प्राप्ति होती है। इस व्रत के कुछ प्रमुख महत्व इस प्रकार हैं:
- ब्रह्महत्या, परनिंदा और भूत योनि जैसे पापों का नाश होता है।
- धन, यश और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
- पितरों को शांति मिलती है।
- यह व्रत पृथ्वी दान, गौ दान और स्वर्ण दान के समान फलदायी है।
- युद्ध में हारने वाले या गुरु की निंदा करने वाले भी इस व्रत से लाभान्वित हो सकते हैं।
अपरा एकादशी की पौराणिक कथा
युधिष्ठिर महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा, “हे जनार्दन! ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी का क्या नाम है? उसकी क्या महिमा है? उस दिन किस देवता की पूजा की जाती है और व्रत करने की विधि क्या है? कृपया मुझे विस्तार से बताएं।”
भगवान श्रीकृष्ण ने उत्तर दिया, “हे राजन! आपका प्रश्न उत्तम है, क्योंकि इसका उत्तर समस्त मानव जाति के कल्याण के लिए है। ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी ‘अपरा’ कहलाती है। यह एकादशी अपार धन और पुण्य प्रदान करने वाली है तथा सभी पापों का नाश करती है। जो मनुष्य इस व्रत को करते हैं, वे संसार में प्रसिद्ध होते हैं।
अपरा एकादशी के व्रत के प्रभाव से ब्रह्महत्या, परनिंदा और भूत योनि आदि के पाप नष्ट हो जाते हैं। इतना ही नहीं, परस्त्री गमन, झूठी गवाही देना, झूठ बोलना, झूठे शास्त्र पढ़ना या बनाना, झूठा ज्योतिषी बनना तथा झूठा वैद्य बनना आदि जैसे घोर पाप भी इस व्रत के करने से मिट जाते हैं।
जो क्षत्रिय युद्ध से भाग जाता है, वह नरकगामी होता है, परंतु अपरा एकादशी का व्रत करने से वह भी स्वर्ग को प्राप्त होता है। जो शिष्य विद्या प्राप्त करके स्वयं ही गुरु की निंदा करता है, वह भी महापातकों से युक्त होकर भयानक नरक में गिरता है, किंतु अपरा एकादशी के सेवन से ऐसे मनुष्य भी सद्गति को प्राप्त होते हैं।
इस एकादशी का व्रत करने से वही फल मिलता है जो तीन पुष्करों में स्नान करने से, कार्तिक मास में स्नान करने से या गंगा तट पर पितरों को पिंडदान करने से प्राप्त होता है। सिंह राशि के बृहस्पति में गोमती नदी में स्नान करने से, कुंभ में केदारनाथ के दर्शन या बद्रीनाथ के दर्शन करने से, सूर्य ग्रहण में कुरुक्षेत्र में स्नान करने से, स्वर्ण दान करने से अथवा अर्द्ध प्रसूता गौ दान से जो फल मिलता है, वही फल अपरा एकादशी के व्रत से मिलता है।
यह व्रत पापरूपी वृक्ष को काटने के लिए कुल्हाड़ी है, पापरूपी ईंधन को जलाने के लिए अग्नि है, पापरूपी अंधकार को मिटाने के लिए सूर्य के समान है और मृगों को मारने के लिए सिंह के समान है।
अतः मनुष्य को पापों से डरते हुए इस व्रत को अवश्य करना चाहिए। अपरा एकादशी का व्रत तथा भगवान वामन की पूजा करने से मनुष्य सब पापों से छूटकर विष्णु लोक को जाता है। इस कथा को पढ़ने और सुनने से सहस्त्र गौ दान का फल मिलता है।”
अपरा एकादशी व्रत विधि (Apara Ekadashi Vrat Vidhi)
अपरा एकादशी का व्रत विधिपूर्वक करने से विशेष फल प्राप्त होता है। इसकी सरल विधि इस प्रकार है:
- दशमी तिथि: दशमी के दिन सूर्यास्त के बाद भोजन न करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- एकादशी तिथि:
- प्रातःकाल उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- घर के मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें और उन्हें फूल, फल, धूप, दीप आदि अर्पित करें।
- विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें या भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें।
- पूरे दिन निराहार रहें। यदि स्वास्थ्य ठीक न हो तो जल या फल का सेवन कर सकते हैं।
- संध्याकाल में भगवान विष्णु की आरती करें और अपरा एकादशी की कथा सुनें।
- रात्रि में जागरण करें और भगवान विष्णु के भजन-कीर्तन गाएं।
- द्वादशी तिथि:
- द्वादशी के दिन स्नान के बाद भगवान विष्णु की पूजा करें।
- किसी गरीब या ब्राह्मण को भोजन कराएं या दान दें।
- तुलसी के पत्ते और जल ग्रहण करके व्रत का पारण करें।
अपरा एकादशी का वैज्ञानिक दृष्टिकोण (Apara Ekadashi Ka Vaigyanik Drishtikon)
हालांकि अपरा एकादशी 2025 मुख्य रूप से एक आध्यात्मिक व्रत है, लेकिन इसके पालन के कुछ पहलुओं को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी देखा जा सकता है:
- पाचन तंत्र को आराम: एकादशी के व्रत में निराहार रहने से पाचन तंत्र को आराम मिलता है और शरीर को डिटॉक्सिफाई करने में मदद मिल सकती है।
- मानसिक शांति: व्रत मन को शांत और एकाग्र करने में सहायक होता है, जिससे मानसिक शांति मिलती है।
- आत्म-संयम: व्रत आत्म-संयम और इच्छाशक्ति को बढ़ाता है।
- शरीर में ऊर्जा का संतुलन: उपवास शरीर में ऊर्जा के स्तर को संतुलित करने में मदद कर सकता है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये संभावित वैज्ञानिक लाभ पारंपरिक मान्यताओं के पूरक हैं और इन पर और अधिक शोध की आवश्यकता है।
निष्कर्ष
अपरा एकादशी एक महत्वपूर्ण हिन्दू व्रत है जिसका आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व तो है ही, साथ ही इसके पालन में शारीरिक और मानसिक कल्याण के लिए भी संदेश निहित हैं। इस दिन भगवान विष्णु की भक्तिपूर्वक पूजा और व्रत करने से जीवन में सकारात्मकता और समृद्धि आती है।
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